Friday, October 22, 2010

जय जय विपक्ष …!

राष्ट्रमण्डल  खेल एवं केंद्र में विपक्ष की भूमिका के सन्दर्भ में एक विचित्र परिस्थिति बन रही है …

राष्ट्रमण्डल खेलों में हुए काम के लिए क्या भाजपा के पास ठेके देने के अधिकार थे ? आशा है कि उत्तर ‘न’ होगा .

क्या भाजपा के पास भुगतान के अधिकार थे ? आशा है कि उत्तर ‘न’ होगा .

तब फिर यह सब अधिकार किसके पास थे ?

निश्चय ही यह अधिकार दिल्ली राज्य में कांग्रेस की माननीय मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की सरकार और केंद्र में माननीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार के पास थे .

तब फिर भ्रष्टाचार की जाँच में अभी तक इन सरकारों के सम्बद्ध मंत्रियों, अधिकारियों एवं सुरेश कलमाड़ी (वह भी कांग्रेस के लोक सभा सदस्य हैं ) के साथ जुड़े लोगों के खिलाफ कोई ठोस कार्यवाही क्यों नहीं हो रही ? दूरदर्शन के किसी चैनल पर क्या किसी ने कुछ भी इस विषय में सुना ?

क्या यह जांच विपक्षी दलों एवं आम जनता के विरुद्ध होगी और निष्कर्ष में क्या सत्तारूढ़ सरकारें निर्दोष पायी जायेंगी ?

अगर ऐसा हुआ तो यह विश्व इतिहास में एक अनूठी घटना होगी .

यह घटना सिद्ध कर देगी कि देश विपक्ष चलाता  है . सरकार तो केवल मूक दर्शक होती है . सारे अधिकार विपक्ष के पास होते हैं . सरकार तो केवल हाँ में हाँ मिलाती है . सारे सरकारी अधिकारी विपक्ष के कहने पर कार्य करते और पैसे बाँटते हैं, सरकार के मंत्रियों को वह कुछ नहीं मानते . लोकतंत्र का एक नया रूप प्रस्तुत होगा और आने वाले समय में इस उदाहरण के चलते लोग विपक्षी दलों के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए कुछ भी करने को तैयार होंगे . कोई सरकार में रहना ही नहीं चाहेगा . जैसे ही सरकार बनेगी लोग दल बदल कर विपक्ष में आ जायेंगे . किताबों में बच्चे विपक्ष के नेता का नाम पढ़ा करेंगें … जय जय विपक्ष !

लेकिन अब विपक्ष राष्ट्रमण्डल खेलों के भ्रष्टाचार के आरोपों से कैसे बचेगा ? शायद जाँच दल भी अंततः  विपक्ष की ही मानेंगे और हमारा विपक्ष बच जाएगा .

जय जय विपक्ष …!

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