अंततः सामान्य भारतीय नागरिक एक शर्मनाक स्थिति की संभावना से बच गया – राष्ट्रमण्डल खेल समाप्त हुए और सबने चैन की एक लंबी साँस ली। खिलाड़ियों का प्रदर्शन अच्छा रहा और तकनीकी खराबियाँ लगभग न के बराबर रहीं। जरा सोचिए, खेलों के दौरान विश्व भर में फैले भारतीय मूल के लोग और भारत में रहने वाले – सभी – एक आशंका की स्थिति से जूझते रहे – कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए ... ।
आह ... यह मुसीबत बुलाई किसने? निश्चित ही कई लोग इस प्रश्न से भी परेशान रहे होंगे!
अभी थोड़े दिन पहले की ही बात है ... दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित एक दूरदर्शन कार्यक्रम में कुछ इस तरह का बयान देती सुनी गईं की क्या हुआ जो देर हुई, काम हो तो गया न ...! शीला दीक्षित – दिल्ली की मुख्यमंत्री होने के नाते इस पूरे कार्यक्रम के सुचारु रूप से सम्पन्न होने और दिल्ली का मान बनाए रखने के लिए सर्वप्रथम जिम्मेदार होतीं हैं। उनसे ऐसे बयान की उम्मीद नहीं थी । अब जबकि खेल ख़त्म हो चुके हैं तो वह समस्याओं एवं भ्रष्टाचार की सारी जिम्मेदारी सुरेश कलमाडी के ऊपर थोप देना चाहती हैं और खेल में सब अच्छी घटनाओं का श्रेय लेती हुई दिखती हैं ....!
दूसरी ओर सोनिया गांधी – काँग्रेस की माननीय अध्यक्ष हैं – जो कि बड़ी ही शालीनता के साथ खिलाड़ियों एवं अन्य अधिकारियों का स्वागत करते हुए सुरेश कलमाडी से दूरी बनाए हुए हैं । राहुल गांधी – युवा काँग्रेस के कर्ताधर्ता – भी सुरेश कलमाडी से दूर रहते हुए राष्ट्रमण्डल खेलों में भागीदार लोगों से मिलते जुलते देखे जा सकते हैं – बस एक कलमाडी ही कहीं नहीं दिखते ।
प्रश्न उठना स्वभाविक है कि यह कलमाडी हैं कौन एवं यह कैसे हो सकता है कि सारे भ्रष्टाचार एवं अनियमितताओं के लिए वही जिम्मेदार हैं ... चारों ओर से हम सभी को यह विश्वाश दिलाने की कोशिश की जा रही है कि यदि कलमाडी को दंडित कर दिया जाये तो बस – जिम्मेदारी ख़त्म । वास्तव में जनता तो लगभग यह मान ही चुकी है – एक रिपोर्ट आ भर जाये और कलमाडी का खेल ख़त्म ।
सामान्य ज्ञान के लिए – कलमाडी लोकसभा में पुणे से संसद सदस्य हैं और वह भी सोनिया गांधी की काँग्रेस पार्टी से ! वह काँग्रेस से दशकों से संबद्ध रहे हैं, 1978 में वह महाराष्ट्र प्रदेश युवा काँग्रेस के अध्यक्ष थे । वह एक सक्रिय राजनेता हैं न कि राजनीति के अंधियारे में खड़े कोई सामान्य कार्यकर्ता । तथ्य तो यह है कि कोई भी काँग्रेसी नेता इतने महत्वपूर्ण पदों एवं इतने बड़े खेलों का संचालन करने का काम करना तो दूर पास फटक भी नहीं सकता यदि वह काँग्रेस अध्यक्ष की नजरों में अच्छा न माना जाता हो !
यह संभव नहीं है कि कलमाडी और उनके सहयोगी ही एकमात्र इन सारे भ्रष्टाचारों और अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार हैं – दरअसल कलमाडी को बलि का बकरा बना कर ‘महान एवं बड़े’ लोगों को बचाने का कार्यक्रम चल रहा है ... अब एक बार फिर जनता के पैसे खर्च कर एक जाँच पड़ताल की जाएगी, कुछ लोगों को नाम मात्र की सजा होगी और खेल ख़त्म ...!
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