Saturday, October 23, 2010

अरुंधती रॉय - भारत विरोधी राष्ट्रद्रोही लेखिका

 दुर्जन एवं सर्प में यदि चुनाव करना हो तो सर्प का चुनाव करना उचित  होगा न कि दुर्जन का  क्योंकि सर्प मृत्यु का समय आने पर ही डंसता   है जबकि दुर्जन व्यक्ति हर कदम पर डंसता  है .           (चाणक्य नीति  , ३.४ )
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आह्वान!

जनमत जनशक्ति साथ हो
राष्ट्रप्रेम की अनुभूति लिए तब
करते सेवा जन - जन  की
तुम आना रण विजय घोष को ।

रोको उन बेगानों को जो नहीं मानते...
करते स्वागत द्रोही जन  का वे 
और बेचते नित राष्ट्र हमारा
स्वार्थ लोलुप बन बाज़ारों में ।

जनमत जनशक्ति साथ हो
भर हुंकार उठा पतित को
समरस समाज की रचना कर
तुम आना रण विजय घोष को ।

कितना लहू  बहाया
कितना दुःख उठाया
उन देशभक्त दीवानों ने स्वातंत्र्य अग्नि में
निज को होम  चढ़ाया ।

जनमत जनशक्ति साथ हो
उठा कदम निश्चय से भर
तुम निडर बढ़ जाना पथ पर
ओ भारत के रक्षक।


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